एक रोग जिसका नाम है थायराइड। अगर तुलना करें तो पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखने को मिलती हैं।
अनुमानित आंकलन के अनुसार हर 10 थायराइड के रोगियों में 7 महिलाएं होती हैं।
थायराइड से ग्रस्ति महिलाओं में लक्षणों की बात करें तो।
डिप्रेशन, तनाव, बांझपन, मोटापा व कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं इनमें देखने को मिलती हैं।
थायराइड क्या हैं? (What Is Thyroid)
हर व्यक्ति के गले में एक ग्रंथि होती है, जिसे थायराइड कहते हैं। गले के अग्रभाग में यह ग्रंथि स्थिति होती है।
आकार में यह ग्रंथि एक तितली के जैसी होती है।
थायराइड नामक यह ग्रंथि एक हार्मोन का निर्माण करती है, जिसे थायोक्सिन कहते हैं।
इस हार्मोन का कार्य शरीर के मेटाबॉलिज्म की कार्य प्रणाली को ठीक करना होता है।
मेटाबॉलिज्म कार्य हमारे द्वारा किए गए भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करना होता है।
लेकिन जब थायराइड ग्रंथि की कार्य क्षमता कम या ज्यादा हो जाती है, तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इसलिए थायराइड ग्रंथि का संतुलित रूप से कार्य करना ठीक रहता है।
आज बहुत से लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं और कई प्रकार की दवाईयों का सेवन भी कर रहे हैं।
लेकिन इस बीमारी से उबर नहीं पा रहे हैं।
तो चलिए हम आपको इस हिंदी लेख में थायराइड के प्रकार और लक्षणों के बारे में बताते हैं।
साथ ही थायराइड के लिए घरेलू उपायभी बतायेंगे।
थायराइड के प्रकार (Types of Thyroid)
हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) और हाइपोथायरइडिज्म (Hypothyroidism), ये थायराइड के 2 प्रकार हैं।
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हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण (Symptoms of Hyperthyroidism)
निम्नलिखित लक्षणों द्वारा हाइपरथायरायडिज्म की पहचान की जा सकती है :-
वजन कम हो जाना
हाथ-पैर में कम्पन्न
अधिक गर्मी सहन नहीं कर पाना
गहरी और अच्छी नींद न आना
गला बार-बार सूखना
अधिक मात्रा में पसीना आना
दिल की धड़कनें तेज हो जाना
शारीरिक व आंतरिक कमजोरी
अनावश्यक चिंतित होना
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हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (Symptoms of hypothyroidism)
निम्नलिखित लक्षणों द्वारा हाइपोथायरायडिज्म की पहचान की जा सकती है :-
किसी भी काम में आलस करना
जरा से काम में अधिक थकान महसूस होना
पेट में कब्ज की शिकायत
मंद गति से धड़कनों का काम करना
सर्दी ज्यादा महसूस होना
सूखी त्वचा औऱ बालों में रूखापन
महिलाओं में पीरियड्य की गड़बड़ी
बांझपन के लक्षण दिखाई देना भी हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण में आता है।
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थायराइड का मुख्य कारण क्या है?
थायराइड की समस्या के लिए जिम्मेदार सबसे मुख्य और आम कारण है ऑटोम्यून्यून थायराइड रोग (AITD)। यह एक वंशानुगत स्थिति है।
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ऑटोम्यून्यून थायराइड रोग क्या है?
इस प्रकार के रोग को हिंदी में स्वप्रतिरक्षित रोग (Autoimmune Disease) कहते हैं।
जब यह रोग होता है, तो व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर में मौजूद अपने ही ऊतकों या अन्य पदार्थों को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक समझने का भ्रम पाल बैठती है।
ऐसे में ये अपने ही ऊतकों व अन्य स्वास्थ्य प्रणाली पर आक्रमण कर देती है।
इस तरह की बीमारी हमारी बॉडी में किसी भी एक विशेष अंग में अपना स्थान जमा सकता है।
या शरीर के अंदर कई जगहों पर एक खास प्रकार के ऊतक को नुकसान पहुंचा सकता है।
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थायराइड के घरेलू उपचार
अदरक
थायराइड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए अदरक का सेवन करना लाभदायक होता है। अदकर में पोटेशियम और मैग्नीशियम की मात्रा अच्छी होती है।
इसके अलावा एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी अदरक में होता है, जिससे थायराइड को रोकने में मदद मिलती है।
हरा धनिया
अगर आपको थायराइड में जल्दी आराम चाहिए, तो आप सुबह खाली पेट हरा धनिया को पीसकर इसके रस को गुनगुने पानी में घोलकर पीएं।
धनिया का सेवन थायराइड रोगियों के लिए ठीक रहता है।
गले व पेट की समस्या में आराम पहुंचाता है। लगातारय यह नुस्खा जरूर करें।
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दही और दूध
दूध और दही में उपलब्ध मिनरल्स, विटामिन्स और कैल्शियम की उचित मात्रा पाई जाती है।
दही और दूध की इस गुणवत्ता की वजह से थायराइड से पीड़ित लोगों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
हल्दी
थायराइड ग्रंथि को स्वस्थ रखने के लिए हल्दी बहुत फायदेमंद साबित होती है।
हल्दी में एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुण होते हैं, जो थायराइड का घरेलू इलाज करने में बहुत बदद करते हैं।
थायराइड की परेशानी में आपको चाहिए कि आप रोज एक चम्मच हल्दी को एक गिलास दूध में डालकर सेवन करें।
तुलसी
कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए तुलसी का उपयोग किया जाता है।
तुलसी में बहुत से ऐसे औषधिए गुण होते हैं, जिनकी मदद से Thyroid Ka Ilaj करने में बहुत मदद मिलती है।
थायराइड में तुलसी का सेवन कैसे करें, यह जान लेते हैं।
तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच की मात्रा में लेकर, ऐलोवेरा के रस में मिलाकर सेवन करें।
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थायराइड का आयुर्वेदिक इलाज
मुलेठी
आप थायराइड का घरेलू इलाज के साथ-साथ थायराइड का आयुर्वेदिक इलाज भी घर पर कर सकते हैं।
इसके लिए आप मुलेठी का उपयोग करें। मुलेठी बहुत फायदेमंद जड़ी-बूटी होती है, जो कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं में आराम पहुंचाती है।
मुलेठी में पर्याप्त मात्रा में ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड उपलब्ध होता है। मुलेठी के ये गुण थायराइड की बीमारी में बहुत राहत पहुंचाते हैं।
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अलसी का बीज
हाइपोथायरायडिज्म से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में अलसी के बीज का उपयोग बहुत प्रभावशाली साबित होता है। क्योंकि इसमें मैग्नीशियम और विटामिन बी 12 जैसे गुण होते हैं।
इसके अलावा अलसी के बीज में फैटी एसिड होता है, जो हमारे दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
अश्वगंधा
ग्रीन टी में अश्वगंधा का चूर्ण मिलाकर पीयें। आपकी इच्छा हो तो इसमें आप अश्वगंधा की पत्तियों के पीसकर भी प्रयोग में ला सकते हैं। स्वाद को बढ़ाने के लिए इसमें आप तुलसी की कोमल पत्तियों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
इससे यह और भी ज्यादा प्रभावशाली दवा बन जाती है, जो थायराइड में बेहतर परिणाम देती है।