शुक्राणु की कमी के कारण, लक्षण और इलाज
एक पुरूष जब संतान पैदा करने में असक्षम हो जाता है, तो इसे पुरूष बांझपन कहा जाता है। ऐसा मुख्य रूप से पुरूष में स्पर्म काउंट कम होने के कारण होता है। यानी पुरूष के वीर्य में शुक्राणु की कमी होने से पुरूषों में बांझपन की शिकायत होने लगती है। पुरूष में बांझपन धीरे-धीरे एक आम समस्या बनती जा रही है। आइए जानते हैं कि स्पर्म यानी शुक्राणु क्या है?
स्पर्म (शुक्राणु) क्या है? (What is Sperm in Hindi)
शुक्राणु को इंगलिश में स्पर्म कहा जाता है। यह पुरूष के वीर्य में उलब्ध होता है। वीर्य में इसकी पर्याप्त मौजूदगी एक स्त्री को प्रिगनेंट करने में मदद करता है। स्पर्म ही महिला के अंडे के साथ निषेचित होता है और एक शिशु को जन्म देने में मदद करता है। शुक्राणु का निर्माण पुरूषों के वृषण यानी टेस्टिकल में होता है। बता दें स्पर्म भी दो टाइम होते हैं- एक्टिव स्पर्म (सक्रिया शुक्राणु) और दूसरा इनएक्टिव स्पर्म (असक्रिय शुक्राणु)। आइए अब एक नजर डालते हैं कि सक्रिय शुक्राणु और असक्रिय शुक्राण क्या हैं?
सक्रिय शुक्राणु क्या है?
ऐसे शुक्राणु जो कि उत्तम क्वालिटी के हों। बेहतर और स्वस्थ हों। सक्रिया शुक्राणु कहलाते हैं। अच्छे और स्वस्थ शुक्राणु की पहचान उसकी संख्या, गति और आकार पर निर्भर करती है। ये तीनों गुण जिस शुक्राणु में होते हैं, वो उत्तम क्वालिटी के शुक्राणु होते हैं। सक्रिय शुक्राणु होते हैं।
असक्रिय शुक्राणु क्या है?
असक्रिया शुक्राणु का तात्पर्य बेकार और अस्वस्थ शुक्राणु से है। ये ऐसे शुक्राणु होते हैं, जिनकी संख्या, गति और आकार भी बेहतर नहीं होता है। ये कई प्रकार के होते हैं। जैसे छोटे सिर वाले शुक्राणु, बड़े सिर वाले शुक्राणु, दो सिर, पतली या मुडी हुई गर्दन, दो या दो ज्यादा पूंछ वाले शुक्राणु। ये सब असक्रिय शुक्राणु को दर्शाते हैं।
स्पर्म कांउट से मतलब?
पुरूष में स्पर्म काउंट से मतलब है कि वीर्य के सैंपल में 40 से 300 मि.ली. स्पर्म काउंट होना जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि पुरूष के वीर्य के नमूने में स्पर्म काउंट 15 मि.ली. से कम है, तो उस पुरूष को पिता बनने में दिक्कतें आ सकती हैं। बच्चा पैदा करने के लिए पुरूष के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 1.5 से 3.6 करोड़ होना एक सामान्य आंकड़ा है।
शुक्राणु की कमी क्या है (What is low sperm count in Hindi)
अगर किसी पुरूष के वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणु मौजूद हों, तो इसे शुक्राणु की कमी कहते हैं। अंग्रेजी में लो स्पर्म काउंट कहा जाता है। मेडिकल की भाषा में यदि पुरूष के वीर्य में 1.5 करोड़ प्रतिलीटर से कम स्पर्म हो, तो ये लो स्पर्म काउंट कहलाता है। यानी शुक्राणु की कमी।
मेडिकल साइंस में शुक्राणु की कम होने की स्थिति को ओलिगोस्पर्मिया नाम दिया गया है। वहीं दूसरी स्थिति में यानी वीर्य में शुक्राणु पूरी तरह ही समाप्त हो जाने पर इसे एजुस्पर्मिया नाम दिया गया है। महिला को गर्भवती करने के लिए पुरूष के वीर्य में शुक्राणु की पर्याप्त मात्रा होना बहुत जरूरी होता है।
स्पर्म काउंट कम होने पर दंपतियों को माता-पिता बनने में समस्याएं आने लगती हैं। पुरूष, स्त्री को प्रिगनेंट नहीं कर पाता। जिसके कारण लंबे समय तक संतानसुख से वंचित रहने की नौबत आ जाती है। पुरूष बांझपन की समस्या होने लगती है। अक्सर ऐसा भी देखा गया है कि कभी-कभी पर्याप्त शुक्राणु होने पर भी कुछ पुरूष, स्त्री को गर्भधारण नहीं करा पाते।
यूं तो महिला के अंडाशय में अंडे को फर्टिलाइज करने के लिए एक ही शुक्राणु पर्याप्त होता है। लेकिन गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने के लिए शुक्राणुओं की संख्या अधिक होना भी जरूरी है।
शुक्राणु की जांच (Diagnosis of low sperm count in Hindi)
यदि किसी पुरूष के वीर्य में स्पर्म काउंट कम हो, तो इस समस्या को ठीक करने के लिए चिकित्सक कुछ खास जांच कर सकते हैं। कुछ नीचे दिये जा रहे हैं।
- नॉर्मल बॉडी टेस्ट
- सीमेन डायग्नोसिस
- हार्मोन जांच
- जेनेटिक टेस्ट
- टेस्टिक्युलर बायोप्सी
- टेस्टिकल अल्ट्रासाउंड
- ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड टेस्ट
- इजैक्युलेशन के बाद मूत्र की जांच
- शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी परीक्षण
- शुक्राणु के विशेष कार्य का परीक्षण
उपरोक्त सभी परीक्षण करने के बाद ही चिकित्सक लो स्पर्म काउंट के कारण का पता करते हैं। फिर शुक्राणु की कमी के इलाज की गतिविधि को सुनिश्चित करते हैं।
शुक्राणु की कमी के कारण (Causes of low sperm count in Hindi)
लो स्पर्म काउंट की कई वजह हो सकती हैं। शुक्राणु का बनना एक विशेष और लंबा प्रोसेस होता है। जिसके निर्माण के लिए अंडकोष के साथ-साथ पिटयूटरी और हाइपोथैलेमस गं्रथियों का नॉर्मल तरीके से काम करना भी जरूरी है।
अंडकोष में स्पर्म बनने के बाद जब तक ये सीमेन में मिलकर पेनिस के माध्यस से बाहर निष्कासित नहीं हो जाते, तब तक एक पतली ट्यूब में रहते हैं। यदि इनमें से कोई भी अंग सही से कार्य नहीं करता है या फिर किसी भी प्रकार की परेशानी हो, तब ऐसी स्थिति में स्पर्म काउंट और स्पर्म की क्वालिटी में फर्क पड़ सकता है।
स्पर्म काउंट कम होने के ये कुछ कारण हो सकते हैं..
- इंफेक्शन
- वृषण और स्क्रोटम की नसों की बीमारी
- हार्मोन असंतुलन
- इजेकुलेशन प्रॉब्लम्स
- ट्यूमर
- अन्डीसेंडेड टेस्टिकल
- सीलिएक रोग
- शुक्राणु वाहिनी में दोष
- शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी
- कुछ विशेष प्रकार की मेडिसिन लेना
लो स्पर्म काउंट के लिए जिम्मेदार पर्यावरण से जुड़े कारण
- विकिरण या एक्स-रे
- भारी धातु के नजदीक ज्यादा रहना
- टेस्टिकल का ज्यादा गर्म होना
- लंबे समय तक साइकिल चलाना
शुक्राणु की कमी के लिए जिम्मेदार लाइफ स्टाइल से जुड़े कारण
- नशीले पदार्थों का भारी मात्रा में सेवन
- लंबे समय से कुछ खास दवाओं का सेवन
- अधिक मात्रा में धूम्रपान व मदिरापान
- गहरी चिंता व अधिक मानसिक तनाव
- अत्याधिक शारीरिक वजन या मोटापा
उपरोक्त बताये गये शुक्राणु की कमी के कारण के अलावा भी, अन्य कारण हो सकते हैं। यदि आप स्पर्म काउंट कम होने के पुख्ता कारण जानना चाहते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाएं? (Diet to increase sperm count in Hindi)
नीचे बताये गये चीजों को आप अपने आहार में शामिल करके शुक्राणु की संख्या में वृद्धि कर सकते हैं।
- स्पर्म बढ़ाने के लिए सब्जियों में सेवन करें जैसे – लौकी, करेला, पालक, तोरई और कद्दू
- शुक्राणु बढ़ाने के लिए फलों का सेवन करें जैसे – केला, अंगूर, अनार, और आम
- लो स्पर्म काउंट को ठीक करने के लिए दाल में, मूंग दाल, मसूर दाल, अरहर दाल और चना
- शुक्राणु और इसकी गति को बढ़ाने के लिए ड्राई फ्रूट्स में अखरोट, अंजीर, बादाम, किशमिश, खूजर और मखाना
- इसके अलावा गेहूं, सोयाबीन, मक्का, बाजरा, पुराना चावल, रागी और जई का सेवन करने से भी स्पर्म काउंट बढ़ता है।
उपरोक्त बताये गये चीजों को आप अपने अपनी डाइट में शामिल करके शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ा सकते हैं। शुक्राणु की गुणवत्ता और गति को बढ़ा सकते हैं। लेकिन इन चीजों का सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परमर्श अवश्य लें।