गिलोय के विषय में आप जानते ही होंगे। आज कोरोना काल में लोग इसके बारे में अधिक जान रहे हैं, पहचान रहे हैं और इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि वो कोरोनो से हर संभव संघर्ष कर सकें।
गिलोय के बहुत से फायदों के बारे में आपने सुना ही होगा। गिलोय को लेकर आयुर्वेद में भी बहुत से अत्यंत लाभकारी और चमत्कारी गुणों की चर्चा की गई है। गिलोय से लगभग हर रोग का इलाज किया जा सकता है। साथ ही आपके स्वास्थ्य को भी कोई नुकसान इस गिलोय नामक औषधि से नहीं पहुंचता।
आयुर्वेद में गिलोय का क्या महत्व है?
गिलोय एक ऐसी वनस्पति है, जिसे औषधि के रूप में अमृत के समान माना गया है। किसी संजीवनी से कम नहीं है गिलोय। आयुर्वेदिक इलाज में सबसे उत्तम और कारगर औषधि है गिलोय।
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गिलोय क्या है?
गिलोय एक तरह की बेल है, जो सामान्यतः जंगलों व झाड़ियों में देखी जा सकती है।
अपने चमत्कारी औषधीय गुणों के कारण आज से नहीं, बल्कि प्राचीन काल से गिलोय का इस्तेमाल औषधि के रूप में कई प्रकार के रोगों के इलाज में किया जाता रहा है।
बीते वर्षों में गिलोय के फायदों को ध्यान में रखते हुए लोग इसके प्रति इतने जागरूक हुए हैं, कि उन्होंने अपने घरों में भी गिलोय की बेल लगाना शुरू कर दिया है। हां, इतना जरूर है कि अभी भी कई लोग गिलोय की पहचान सही से नहीं कर पाते हैं। गिलोय की पहचान करना बिल्कुल भी मुश्किल काम नहीं है।
आपको बता दें कि गिलाये के जो पत्ते होते हैं, उनका आकार पान के पत्तों की तरह ही होता है और यह पत्ते गहरे हरे रंग के रूप में होते हैं। कई लोग तो गिलोय को घर की सजवाट के उपयोग में भी पौधों के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
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गिलोय का कोई एक विशेष गुण बतायें?
आयुर्वेद में ऐसा कहा जाता है कि गिलोय की एक विशेषता है कि इसकी बेल जिस भी पेड़ पर चढ़ती है, उस पेड़ के सभी गुणों को भी खुद में ग्रहण कर लेती है। अपनी इसी विशेषता के कारण गिलोय की बेल जब नीम के पेड़ पर चढ़ती है, तो उसके गुणों को भी ग्रहण कर लेती है और इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को आयुर्वेद में सबसे उत्तम औषधि माना गया है। इस औषधि को नीम गिलोय कहते हैं।
गिलोय में मौजूद जरूरी पोषक तत्व कौन से हैं?
गिलोय में मौजूद जरूरी पोषक तत्वों की सूची में मुख्य हैं गिलोइन, पामेरिन और टीनोस्पोरिक एसिड। इसके अतिरिक्त गिलोय में पोषक तत्व होते हैं- काॅपर, आयरन, फाॅस्फोरस, जिंक, कैल्शियम व मैगनीज।
आइए गिलोय के औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं
आयुर्वेद में बताया गया है कि रोग दूर करने के लिए मुख्यतौर पर गिलोय के तनें व डंठल बहुत ही लाभकारी होते हैं और इनका ही प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। लेकिन इसके साथ-साथ गिलोय की पत्तियां, तना और जड़ें भी स्वास्थ्य के लिए हितकारी होते हैं।
गिलाये में प्रचुर मात्रा में एंटीआॅक्टसीडेंट गुण पाये जाते हैं। इसके अलावा गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर से बचाव के गुण भी होते हैं। इन्हीं औषधीय गुणों की वजह से गिलोय बहुत से रोगों में आराम पहुंचाने की क्षमता रखती है जैसे- ज्वर, मधुमेह, कब्ज, पीलिया, गठिया, मूत्र से संबंधित बीमारी आदि।
ऐसा बहुत कम औषधियों में देखा जाता है, कि वे वात, पित्त व कफ तीनों में आराम पहुंचा सके, लेकिन एक मात्र गिलोय ऐसी औषधि है, जो इन तीनों को नियंत्रित करने में पूर्णतः सक्षम है।
विषैले पदार्थों से लड़कर उन्हें दूर करने मंे गिलोय की अपनी ही मुख्य भुमिका होती है।
गिलोय का सेवन कैसे करना चाहिए?
प्रिय पाठकों आज बहुत से लोग हैं, जो गिलोय के फायदों से परिचित हैं, लेकिन इस बात से परिचित नहीं हैं कि उन्हें गिलोय का सेवन कैसे करना चाहिए।
बता दें कि सामान्यतः गिलोय का सेवन आप तीन प्रकार से कर सकते हैं- पहला गिलोय सत्व के रूप में, दूसरा गिलोस स्वरस के रूप में और तीसरा चूर्ण की तरह सेवन करना।
अगर आप बाजार में गिलोय खरीदने जाते हैं, तो आज के समय में आपको गिलोय सत्व और गिलोय स्वरस यानी जूस के रूप में बहुत ही सरलता से मिल जायेंगे।
गिलोय का सेवन किन रोगों में किया जाता है और कैसे किया जाता है?
1. मधुमेह में गिलोय का सेवन
मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए गिलोय का सेवन बहुत ही उत्तम रहता है। टाइप-2 मधुमेह में विशेष रूप से असरदार भुमिका निभाती है गिलोय। शुगर के बढ़े हुए लेवल को कम करने के लिए गिलोय का स्वरस यानी जूस बहुत लाभकारी रहता है।
सेवन विधि: मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए आप दो रूपो में गिलोय का सेवन कर सकते हैं।
- गिलोय को जूस के रूप में सेवन करें। इसके लिए आप सुबह खाली पेट दो से तीन चम्मच गिलोय का स्वरस लेकर लगभग आधा गिलास पानी में मिलाकर पिएं।
- गिलोय को चूर्ण के रूप में सेवन करें। भोजन करने के लगभग एक घंटे बाद आधा चम्मच की मात्रा में गिलोय चूर्ण पानी के साथ का सेवन करें।
2. डेंगू रोग में गिलोय का सेवन
डेंगू रोग से बचाव के लिए गिलोय बहुत ही बढ़िया घरेलू उपाय है। डेंगू के दौरान मरीज को तीव्र ज्वर आते हैं और गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक गुण तीव्र ज्वर को रोकने में बहुत कारगर साबित होता है। इम्युनिटी को बढ़ाकर गिलोय रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है, जिससे डेंगू में भी आराम पहुंचता है।
सेवन विधि: भोजन करने के लगभग आधा या एक घंटे पहले एक गिलास पानी में दो से तीन चम्मय गिलोस का रस मिलाकर सेवन करना चाहिए। डेंगू जल्दी ठीक हो जाता है।
3. अपच की समस्या में गिलोय का सेवन
पेट और पाचनतंत्र से संबंधित समस्याओं में गिलोय का सेवन करना बहुत फायदेमंद साबित होता है। अगर आपको गैस, कब्ज, एसिडिटी व अपच जैसी समस्या है, तो आप गिलोय का सेवन करें।
सेवन विधि: रात को सोने से पहले एक चम्मच की मात्रा में गिलोय चूर्ण का सेवन गर्म पानी के साथ करें।
4. खांसी होने पर गिलोय का सेवन
आजकल खांसी होना बच्चों व बड़ों में भी आम बात है। लेकिन लंबे समय तक खांसी में आराम नहीं आये, तो बहुत समस्या हो जाती है। ऐसे में गिलोय का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। दरअसल गिलोय में एंटीएलर्जिक गुण होता है, जिससे खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है। इसके लिए गिलोय का काढ़ा बनाकर, शहद के साथ पीना आरामदायम होता है।
5. तीव्र ज्वर में गिलोय का सेवन
गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण होता है, जिसकी वजह से तीव्र ज्वर मंे बहुत जल्दी आराम मिलता है। इसी कारण से आयुर्वेद में डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू जैसी गंभीर बीमारियों में राहत पाने के लिए गिलोय का प्रयोग करने की सलाह बतायी जाती है।
कितना भी पुराना ज्वर(बुखार) हो, आराम पाने के लिए गिलोय घनवटी नामक टैबलेट पानी के साथ सेवन करना चाहिए।
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6. पीलिया में गिलोय का सेवन
जाॅन्डिस यानी पीलिया रोग होने पर रोगी को गिलोय के ताजे पत्तों का रस पिलाना चाहिए। इससे उन्हें पीलिया में होने वाले ज्चर व पीड़ा में बहुत आराम मिलता है।
गिलोय सत्व का सेवन पीलिया से छुटकारा दिलाता है।
सेवन विधि: चुटकी भर गिलोय सत्व में आधा चम्मच शहद मिलाकर लें। एक नाश्ते के बाद और दूसरा थोड़ा कुछ खाने के बाद।
7. एनीमिया(खून की कमी) हो जाने पर गिलोय का सेवन
जब हमारी बाॅडी में खून की कमी हो जाती है, तो हम कई प्रकार के छोटे-मोटे रोगों से पीड़ित होते रहते हैं, जिनमें से एक है- एनीमिया रोग।
एनीमिया रोग से अधिकतर महिलाएं ही पीड़ित होती हैं। ऐसी महिलाओं का गिलोय का रस पीना चाहिए। इससे खून भी बढ़ता है और इम्युनिटी भी बढ़ती है।
सेवन विधि: दो से तीन चम्मच, गिलोय रस को शहद या पानी के साथ दिन में दो बार भोजन से पूर्व सेवन करें।
8. मोटापा कम करने के लिए गिलोय का सेवन
यदि आप अपने बढ़ते वजन और मोटापे से परेशान हैं, तो आपको गिलोय का सेवन जरूर करना चाहिए। रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच गिलोय के रस में, एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से, जल्दी ही मोटापा कम होने लगता है और वजन भी कम हो जाता है।
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9. त्वचा की रक्षा के लिए गिलोय का सेवन
अधिकतर लोगों की त्वचा बहुत ही संवेदनशील होती है, जिससे अधिक धूप में या ठंड में, धूल-मिट्टी के कारण उनकी त्वचा में एलर्जी हो जाती है। विशेषकर चेहरे की त्वचा में। ऐसे में गिलोय का इस्तेमाल करना चाहिए।
तरीका: गिलोय के तने का पेस्ट तैयार कर लें। पेस्ट तैयार हो जाने के बाद इसे चेहरे या शरीर में उस स्थान पर लगायें, जहां आपकी त्वचा संक्रमित हो। आपकी त्वचा संबंधी सभी समस्यायें जैसे- कील-मुहांसे, चकते आदि सब दूर हो जायेंगे।
10. लीवर की समस्या में गिलोय का सेवन
आज जिस तरह का दौर है, शराब का सेवन भी अधिक बढ़ गया है। कोई भी खुशी या तैयार का मौका हो, शराब की बोतलें खुल जाती हैं, जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अधिक मात्रा में शराब पीने से सबसे ज्यादा हमारी बाॅडी में लीवर प्रभावित होता है।
ऐसे में गिलोय सत्व का सेवन करना लीवर को सुरक्षित रख सकता है। क्योंकि गिलोय में मौजूद एंटीआॅक्सीडेंट गुण खून को साफ करती है और एंजामइ के स्तर में वृद्धि करती है।
सेवन विधि: शहद के साथ चुटकी भर गिलोय सत्व का सेवन दिन में दो बार अवश्य करना चाहिए।
क्या गिलोय के नुकसान भी हैं?
जी हां, कभी-कभी आधी-अधूरी जानकारी के कारण गिलोय का सेवन करना गंभीर भी हो सकता है। अगर गिलोय के फायदे हैं, तो कुछ परिस्थितियों में यह नुकसानदायक भी साबित हो सकता है।
आइए इन परिस्थ्तिियों के बारे में जानत हैं।
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ऑटो इम्यून रोगों के बढ़ने की संभावना
ऐसा जरूर है कि गिलोय हमारे इम्युनिटी का बढ़ाता है, लेकिन कई बार ऐसा भी देखा गया है, कि पहले से ही जिन लोगों की इम्युनिटी स्ट्राॅन्ग होती है, उनके द्वारा गिलोय का सेवन करने से उनमें एक्स्ट्रा इम्युनिटी बढ़ जाती है। जिस कारण ऑटो इम्यून रोगों का खतरा अधिक हो जाता है। इसलिए ऑटो इम्यून रोग(मल्टीप्ल स्केरेलोसिस या रुमेटाइड आर्थराइटिस) से जूझ रहे रोगियों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। या फिर डाॅक्टर से परामर्श के बाद भी गिलोय का सेवन करना चाहिए।
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निम्न रक्तचाप में गिलोय वर्जित
गिलोय का सेवन उच्च रक्तचाप को सामान्य करने के लिए किया जाता है, लेकिन ऐसे में निम्न रक्तचाप(लो ब्लड प्रेशर) के रोगियों द्वारा गिलोय का सेवन करना गंभीर हो सकता है।
इसलिए जिन लोंगो की सर्जरी होने वाली होती है, उन्हें सर्जरी से पहले गिलोय का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में हालात और बिगड़ सकते हैं।
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गर्भधारण के दौरान
ऐसी महिलाएं जो गर्भवती हों या नवजात शिशु को स्तनपान कराती हों, उन्हें गिलोय के सेवन की मनाही होती है। हालांकि अभी ऐसे साक्ष्य सामने नहीं आयें हैं, कि जिनसे ये प्रमाणित होता हो कि गर्भवती महिलाओं द्वारा गिलोय का सेवन करने से उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान हुआ हो। लेकिन फिर भी हम यही सलाह देना चाहेंगे कि गर्भवती स्त्रियों को बिना डाॅक्टर की सलाह के गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।
अब आप गिलोय के फायदे और नुकसान से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। इसलिए अपनी जरुरत के हिसाब से गिलोय का नियमित सेवन शुरु कर दें। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि गिलोय जूस (ळपसवल रनपबम) या गिलोय सत्व का हमेशा सीमित मात्रा में ही सेवन करें। हालांकि गिलोय के नुकसान (ळपसवल ाम दनोंद) बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलते हैं लेकिन फिर भी अगर आपको किसी तरह की समस्या होती है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर को जरुर सूचित करें।
तो प्रिय पाठकों उम्मीद करते हैं कि आप गिलोय के फायदे और नुकसान से भली-भांति परिचित हो गये होंगे और यह भी भली-भांति समझ गये होंगे कि आपको किस तरह अपने स्वास्थ्य के अनुरूप गिलोय का सेवन करना चाहिए।
बेशक गिलोय के नुकसान नहीं हैं और ना ही देखे गये हैं, लेकिन फिर भी हम आपको यही सलाह देते हैं कि जब भी गिलोय का सेवन करें, उससे पहले डाॅक्टर की सलाह जरूर लें।
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