मूलतः मूत्र मार्ग में पाये जाने वाले पथरी की उत्पत्ति किडनी में ही होती है। जो बाद में उस स्थान से मूत्र के साथ बहकर निचले अन्य हिस्सों जैसे यूरेटर्स और मूत्राशय में पहुंच जाती है। किडनी में पथरी के निर्माण की रूपरेखा का कारण लगभग एक ही होता है।
दरअसल गुर्दे में पथरी कैसे होती है, सामान्य भाष में समझें। हमारे शरीर में कुछ खनिज पदार्थ होते हैं, जैसे कि कैल्शियम, फॉस्फेट, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड, सिस्टीन। जब इनकी मात्रा अधिक हो जाये और हमारे पेशाब में पानी की इतनी मात्रा ना हो कि इन्हें घोल सके। तब ऐसी स्थिति में ये सभी पदार्थ मिलकर एक बारीक पथर के रूप परिवर्तित हो जाते हैं। यानी सब खनिज पदार्थ मिलकर पथरी को बना देते हैं।
कारण के द्वारा बतायें कि पथरी कैसे होती है, तो सबसे सरल शब्दों में पथरी का मुख्य कारण शरीर में पानी की कमी होता है। दरअसल यूरिक एसिड (मूत्र का एक घटक) को पतला करने के लिए पानी की जरूरी मात्रा शरीर में होना आवश्यक होता है। जब शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है, तब पेशाब ज्यादा अम्लीय बन जाता है। यही अम्लीय गुर्दे की पथरी की सबसे खास वजह बन जाती है।
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से विटामिन- डी या कैल्शियम की खुराक ले रहा हो, तो ऐसे में उस व्यक्ति के शरीर में कैल्शियम के स्तर में वृद्धि हो जाती है। इसके कारण भी गुर्दे में पथरी हो सकती है।
एक ही स्थान पर ज्यादा देर तक यानी लंबे समय तक बैठने से और अधिक मोटापा से भी पथरी हो सकती है। इसके अलावा उच्च रक्तचाप और कैल्शियम का शरीर में समावेश कम होने के कारण पथरी की समस्या हो सकती है।
पथरी कहाँ होती है?
हमारे शरीर के बहुत से अंग हैं जहाँ लोगों में पथरी को पाया गया है। अकसर पथरी ऐसी जगाहों पर पायी जाती है जहाँ पर शरीर में मौजूद कोई रसायन अधिक मात्रा में इकठे होते हों। ऐसा होने से खनिज पदार्थों की आपस में जुड़ कर पथरी बनाने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है। परन्तु और भी स्थानों पर पथरी को देखा गया है।
हमारी बॉडी के बहुत से पार्ट हैं, जहां लोगों में पथरी को पाया गया है। हमारे बॉडी के वो पार्ट्स जहां पर कोई केमिकल ज्यादा मात्रा में एकत्र होते हैं, अधिकतर वहीं पर लोगों में पथरी को पाया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप खनिज पदार्थों आपस में मिलकर जुड़ जाते हैं और पथरी का निर्माण कर देते हैं। इसके अलावा शरीर के अन्य अंगों में भी पथरी को देखा गया है। जो कि निम्नलिखत हैं:-
- किडनी
- पित्ताशय
- मूत्राशय
- अग्न्याशय
- पौरुष ग्रंथि
- आंत
- मुँह
- गला
- नाक
इतना ही नहीं, किसी-किसी को नसों में भी पथरी की शिकायत हो जाती है। इन सभी अंगों में पथरी बनने के कारण अलग-अलग होते हैं। लेकिन ज्यादातर गुर्दे की पथरी और पित्ताशय की पथरी की शिकायत लोगों में अधिक देखी जाती है।
पित्ताशय की पथरी
पित्त की पथरी की बात करें, तो ये गॉलस्टोन छोटे पत्थर होते हैं। इनका निर्माण पित्त की थैली यानी पित्ताशय में होता है। हमारे शरीर में लीवर के निचले हिस्से में पित्त की थैली होती है, जहां पथरी बनती है। पित्ताशय की पथरी बेहद कष्टदायक हो सकती है। इसलिए समय रहते इसका उपचार करा लेना चाहिए। अन्यथा बाद में इसे निकालने के लिए ऑपरेशन की जरूरत भी पड़ सकती है।
पित्ताशय में पथरी कैसे बनती है?
अक्सर पित्ताशय में पथरी की शिकायत तब होती है, जब पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल जमकर सख्त हो जाता है। जिसके कारण पथरी के रोगी को असहनीय पीड़ा का अनुभव होता है। इसके अतिरिक्त भोजन को पचाने में भी परेशानी आने लगती है।
पथरी के लक्षण कैसे पहचानें
पथरी की समस्या लंबे समय तक रहने से कई बार घातक भी साबित हो सकती है। पथरी के लक्षणों की बात करें, तो पेशाब में रूकाटव पैदा हो सकती है। यदि ये पथरी मूत्र मार्ग की ओर पहुंच जायें, तो इसके कारण मूत्र नली के आसपास दर्द, पेशाब में खून, मितली और उल्टी, मूत्राशय में सफेद रक्त कोशिकाओं या मवादा होना, पेशाब की मात्रा कम होना, पेशाब के समय जलन, बार-बार पेशाब आने जैसा महसूस होना, ज्वर या ठंड लगना हो सकते हैं।
क्या दवाईयों की मदद से पथरी को निकाला जा सकता है?
जी हां, आयुर्वेदिक उपचार व औषधियों की मदद से पथरी को तोड़़कर और घुलनशील बनाकर मूत्र मार्ग से बाहर निकाला जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि पथरी का आयुर्वेदिक इलाज संभव है। पथरी के लिए आयुर्वेदिक दवा खाने से पथरी का स्थाई इलाज किया जा सकता है।
पथरी की आयुर्वेदिक दवा का नाम बतायें?
आप सूरज हर्बल्स (Suraj Herbals) आयुर्वेदिक कंपनी का स्टोनोस्योर (StonOsure) औषधी का सेवन करें। ये कैप्सूल और पाउडर दोनों रूपों में आता है। दोनों ही एकदम शुद्ध जड़ी-बूटियों से बनाई गई हैं। जिनका कोई भी दुष्प्रभाव (side effect) आपके स्वास्थ्य पर नहीं होता है। आप इसे चाहे कैप्सूल के रूप में सेवन करें या पाउडर के रूप में। ये दोनों ही तरीकों में समान रूप से प्रभावशाली औषधियाँ हैं। ये किडनी स्टोन को तोड़कर घुलनशील बनाने में सहायता करती हैं। जिसके कारण मूत्र के दौरान पथरी आसानी से बाहर निकल जाती है। इसके अलावा आपके किडनी को स्वस्थ रखने में भी मदद करती है। पाचन तंत्र के लिए भी प्रभावशाली औषधी है।
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