बवासीर का घरेलू उपचार
Piles (Haemorrhoids), Bawaseer Ka Ilaj, Khooni Bawasir Ki Medicine
बवासीर एक बहुत ही कष्टदायी बीमारी होती है, जिसमें व्यक्ति के गुदा मार्ग(Anus), गुदा के अंदरुनी व बाहरी हिस्से में या फिर मलाशय(Rectum) के निचले भाग में सूजन आ जाती है, जिसके कारण गुदा के बाहरी क्षेत्र या फिर अंदरुनी क्षेत्र में मस्से जैसे छोटे गोले बन जाते हैं, जिनमें मल त्याग के समय व्यक्ति को बहुत कष्ट होता है। ये समस्या ही बवासारी की बीमारी कहलाती है।
बवासीर को मेडिकल साइंस की भाषा में Piles या Hemorrhoids के नाम से जाना जाता है। औसतन 65 या 70 प्रतिशत लोगों को उम्र के एक पड़ाव में बवासीर रोग हो ही जाता है। फिर चाहे वो पुरूषों की बवासीर हो या महिला बवासीर। बवासीर के लक्षण दिखाई देने पर व्यक्ति को तुरन्त समय रहते बवासीर यानी पाइल्स का इलाज करा लेना चाहिए। क्योंकि यह समस्या जितनी पुरानी होती जायेगी, उतनी ही पुरानी बवासीर का इलाज कष्टदायी होगा और यह समस्या आगे चलकर भगन्दर में बदल जाती है। भगन्दर को अंग्रेजी में फिस्टुला(Fistul) कहते हैं, जिसमें असहनीय जलन और तकलीफ होती है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर के दो प्रकार हैं पहला- खूनी बवासीर और दूसरा- बादी बवासीर।
1. खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में रोगी को मल त्याग के समय किसी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं होता है। केवल मल त्याग के दौरान गुदा से खून टपकता है या कभी-कभी पिचकारी के रूप में आता है। खूनी बवासीर में मस्से गुदा के अंदर होते हैं।
2. बादी बवासीर
बादी बवासीर में गुदा के बाहर मस्से हो जाते हैं, जिनमें लगातार खुजलि और जलन बनी रहती है। लेकिन इन मस्सों से खून नहीं आता। एक प्रकार से बादी बवासीर में व्यक्ति पेट की समस्या से ज्यादा परेशान रहता है, क्योंकि इसमें गैस और कब्ज की शिकायत बनी रहती है। बादी बवासीर में गुदा के बाहर मस्सों में पहले-पहले तो इतना कष्ट नहीं होता, लेकिन असंतुलित आहार लेने या कब्ज की समस्या लगातार बनी रहने से इन मस्सों में रक्त एकत्र हो जाता है और सूजन भी आ जाती है।
बादी बवासीर में मल त्याग के समय तकलीफ इतनी होती है कि व्यक्ति बुरी तरह तड़पने लगता है। यहां तक कि मल त्याग के बाद सामन्य रूप में भी दर्द महसूस होता रहता है। ना तो रोगी सही से उठ-बैठ पाता है और ना ही चल-फिर पाता है। लेकिन पाइल्स का इलाज कराने पर और पाइल्स में परहेज करने पर यह समस्या पूरी तरह ठीक भी हो जाती है।
बवासीर के लक्षण
वेसे तो कई बार बवासीर के लक्षण पता नहीं चलते, क्योंकि साधारण बवासीर 5-6 दिनों में स्वयं ही सही हो जाता है। लेकिन रोग की गंभीरता बढ़ जाने पर निम्न लक्षणों से बवासीर की पहचान की जा सकती है।
- गुदा मार्ग के अंदर, बाहर या आसपास सख्त जैसी छोटी गांठ महसूस होती है। इस गांठ में ऐंठन होने पर दर्द होता है और कभी-कभी रक्त भी आता है।
- मल त्याग के बाद भी ऐसा महसूस होना जैसे पेट पूरी तरह साफ नहीं हुआ है।
- मल त्याग के दौरान तेज जलन के साथ गाढ़ा लाल रक्त आना।
- शौच के समय बहुत ज्यादा तकलीफ होना।
- गुदा मार्ग में तेज खुजलि, जलन व सूजन हो जाना, जिसकी वजह से गुदा मार्ग लाल दिखने लगती है।
- मल त्याग के समय म्यूकस आना।
- बार-बार शौच करने का मन होना, लेकिन शौच नहीं आना।
उपरोक्त लक्षण दिखाई देने पर लापरवाही ना करें और तुरन्त चिकित्स से सलाह लें या सम्पर्क करें। क्योंकि कई लोग खुद ही डाॅक्टर बनकर बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय करने लगते हैं, जिनका परिणाम गंभीर होता है।
बवासीर के कारण
आयुर्वेद की दृष्टिकोण से समझाया जाये तो बवासीर के कारण में वात, पित्त और कफ का दूषित हो जाना शामिल हैं। आयुर्वेदिक भाषा में बवासीर रोग को ‘अर्श’ से संबोधित किया गया है। यदि वात या कफ के कारण बवासीर रोग होता है, इसे अर्श शुष्क कहते हैं और यदि पित्त या रक्तपित्त की वजह से बवासीर होता है, तो उसे आर्द्र अर्श कहते हैं। रही बात की कष्ट की, तो शुष्क अर्श में रोगी को कष्ट ज्यादा होता है।
इसके अतिरिक्त अन्य निम्न कारण हो सकते हैं:-
- अगर रोजगार या व्यवसाए से जोड़कर देखा जाये, तो कोई ऐसा काम जिसमें घण्टों खड़े रहना पड़ता है या फिर सारा-सारा दिन खड़े रहना पड़ता है। इसके अलावा अधिक वजन ढोने का काम भी करना पड़ता हो, तो ऐसे लोगों में बवासीर रोग होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
- पेट में कब्ज रहने से भी बवासीर हो जाया करता है, क्योंकि पेट सूख जाने के कारण मल भी सूखा और सख्त होकर आता है, जिससे मल त्याग के समय बहुत दर्द का अनुभव होता है। बहुत समय तक उकडृ की अवस्था में बैठा रहना पड़ता है। यही कारण है कि गुदा की मांसपेशियों की रक्तवाहिनियां
- भोजन में तेज मसाले खाना, चटपटी चीजें ज्यादा खाना, अधिक तेलयुक्त भोजन करना।
- खुलकर शौच नहीं आना।
- आहार में फाइबर की कमी।
- स्त्रियों में प्रसव के समय जोर लगाने पर गुदा मार्ग में अधिक दबाव पड़ता है, जिससे स्त्रियों को बवासीर
- महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने की संभावना बनी रहती है।
- शारीरिक परिश्रम ना करना या आरामपरस्त जिंदगी जीना।
- मदिरापान करना व धमू्रपान करना।
- अत्याधिक तनाव।
बवासीर मस्से का घरेलू इलाज
- बवासीर के मस्से ठीक करने के उपाय में आप एलोवेरा का इस्तेमाल करें। एलोवेरा में सूजनरोध और बहुत से चिकित्सीय गुण होते हैं। बवासीर में एलोवेरा का प्रयोग करने से मस्सों की जलन में बहुत आराम मिलता है। गुदा के अंदर और बाहर दोनों रूपों के मस्सों के इलाज में एलोवेरा फायदेमंद होता है। धीरे-धीरे बवासीर के मस्से सूखने लगते हैं और ठीक हो जाते हैं।
- बादी बवासीर के मस्से सुखाने का इलाज अगर आप घरेलू उपाय से करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप शुद्ध बादाम के तेल में बहुत ही साॅफ रूई को डुबोकर मस्सों पर लगायें। बादी बवासीर के मस्से ठीक हो जायेंगे। जलन और सूजन में भी आराम मिलेगा।
- अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर खाली पेट अंजीर को पीसकर साफ पानी के साथ खायें और पानी को भी पी जायें। यह नुस्खा बवासीर का अचूक इलाज है।
- अगर आपको बादी बवासीर है, तो आप यह नुस्खा करें। 250 ग्राम जीरा लेकर इसे आवश्यकतानुसार पानी लेकर पीस लें और मस्सों वाले स्थान पर लगायें। दर्द और जलन कम हो जायेगी। इसके अलावा खूनी बवासीर की समस्या है, तो यह उपाय करें। 250 ग्राम ही जीरे को भूनकर बाद में इसे पीसकर चूर्ण बना लें और पिसी हुई मिश्री को भी इसमें मिला लें। इस तैयार चूर्ण को आधा चम्मच दिन 3 बार मट्ठे के साथ सेवन करें।
- नींबू से बवासीर का इलाज करें। पाइल्स का घरेलू इलाज मेें आप अदरक और नींबू के रस को शहद के साथ लें। बहुत जल्द पाइल्स में आराम मिलेगा।
- कई लोग प्रश्न करते हैं कि बवासीर में केला खाना चाहिए या नहीं, तो बता दें कि आप केला खा तो सकते हैं, लेकिन पका हुआ केला आपको खाना चाहिए। पका हुआ केला लेकर इसे उबालें और फिर दिन में दो समय सेवन करें।
- छांछ की मदद से भी बवासीर में बहुत आराम मिलता है। अगर आपको बवासीर की समस्या है, तो ऐसे में आप रोजाना दोपहर को भोजन के बाद एक गिलास छांछ में आधा चम्मच अजवायन चूर्ण और आधा चम्मच ही काला नमक मिलाकर पिएं।
बवासीर में परहेज बतायें?
अगर आप पाइल्स का इलाज प्राप्त कर रहे हैं या आप बवासीर से पीड़ित हैं, तो ये 2 परहेज तो आपको हर हाल में ही करने हैं, फिर चाहे बादी बवासीर हो या फिर बात खूनी बवासीर में परहेज की हो..
- पहला – घर का बना हुआ ही संतुलित भोजन करें।
- दूसरा – अधिक तेलयुक्त और तेज मिर्च-मसाले वाला भोजन भूलकर भी ना करें।
बवासीर के इलाज में ऑपरेशन कितना सुरक्षित है?
आइए पहले पाइल्स(बवासीर) में ऑपरेशन के प्रकार जान लेते हैं। बवासीर में ऑपरेशन करने के 3 तरीके या प्रकार होते हैं।
- पहला है- सर्जिकल ऑपरेशन
- दूसरा है- लेजर ऑपरेशन
- तीसरा है- क्षारसूत्र
उपरोक्त ऑपरेशन के तीनों प्रकारों द्वारा बवासीर का इलाज किया जाता है। लेकिन कई बार ऑपरेशन की इन तीनों पद्धत्तियों द्वारा पाइल्स का इलाज करने के बाद भी यह रोग दोबारा उत्पन्न हो जाता है। कई बार तो ऑपरेशन के बाद बवासीर के रोगी में गंभीर परिणाम भी देखे गये हैं जैसे कि बवासीर रोग का भगन्दर में परिविर्तित हो जाना।
भगन्दर की समस्या में रोगी की गुदा मार्ग से खून, मल व मवाद का स्राव भी होता रहता है। पाइल्स में ऑपरेशन की लेजर प्रणाली की बात करें, तो लेजर से हुए ऑपरेशन में ‘रेक्टल प्रेसर कंट्रोल सिस्टम’ को क्षति पहुंचने जैसी घटनायें भी सामाने आयी हैं। इसलिए इन सभी बातों को मध्यनजर रखते हुए बवासीर में ऑपरेशन को ‘उचित’ ठहराना ‘अनुचित’ होगा।
बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज
बवासीर के दोनों प्रकारों में यानी बादी बवासीर और खूनी बवासीर में आयुर्वेदिक इलाज से पूर्ण आराम पाया जा सकता है और पाइल्स का जड़ से इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा जाता है। अर्श से पूरी तरह मुक्ति पाने के लिए हम आपको बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज बता रहे हैं।
बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज आप बवासीर की आयुर्वेदिक दवा से करें। अगर आप बवासीर को जड़ से खत्म करना चाहते हैं, तो पाइल्स की अचूक आयुर्वेदिक दवा आती है जिसका नाम हैै- सूरज पायलोसोर (Suraj’s PylOsur)। यह दवा कैसी भी बवासीर हो, जड़ से खत्म कर देती है और दोबारा नहीं होने देती। इसे आप मस्से वाली आयुर्वेदिक दवा भी कह सकते हैं।
सूरज पायलोसोर, एक प्योर (शुद्ध) आयुर्वेदिक दवा है, जो शुद्ध जड़ी बूटियों से बनाई गई है। यह दवा दो रूपो में आती है-एक पाउडर के रूप में, दूसरा कैप्सूल के रूप में। दोनों ही दवाओं में किसी भी प्रकार का एस्ट्राॅयड या केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है, पूरी तरह आयुर्वेदिक हैं, इसलिए इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।
यह दवा 2 से 3 दिन में ही गजब का असर करना शुरू कर देती है। बवासीर में होने वाले दर्द और सूजन को पूरी तरह दूर करती है, कब्ज बवासीर में बहुत तकलीफ देता है, इसलिए यह दवा कब्ज को भी दूर करती है, मस्सों में घाव को दूर करती है और खून के रिसाव को रोकती है। इस दवा सबसे बड़ी विशेषता यह है ये आपके पाचन तंत्र में भी सुधार करती है, जिससे आपको शौच आराम से और समय पर होती है।
बवासीर में होने वाले दर्द और सूजन को पूरी तरह दूर करती है, कब्ज, बवासीर में बहुत तकलीफ देता है, इसलिए यह दवा कब्ज को भी दूर करती है, मस्सों में घाव को दूर करती है और खून के रिसाव को रोकती है। सबसे बड़ी बात… आपके पाचन तंत्र में भी सुधार करती है, जिससे आपको शौच आराम से और समय पर होती है।
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