विवाह के पश्चात् हर दम्पति का यही सपना होता है कि वह संतान का सुख देखे। वैसे भी संतान सुख संसार का सबसे अनमोल सुख माना गया है।
लेकिन कभी-कभार कुछ दम्पति इस सुख से वंचित रह जाते हैं। विवाह के कई वर्ष पश्चात् भी उनके संतान नहीं हो पाती। दरअसल ऐसा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण होता है। बांझपन को चिकित्सिए भाषा में इन्फर्टिलिटी (Infertility) कहते हैं। अन्य भाषा में इसे निःसंतानता भी कहते हैं।
महिलाओं में बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार सर्वोत्तम विकल्प है।
बांझपन किसे कहते हैं?
अगर कोई दम्पत्ति संतान पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके संतान नहीं हो रही है। तो इस प्रकार की समस्या को ही बांझपन कहते हैं। अवधि के अंतराल के अनुसार विवाह के एक वर्ष पश्चात् भी अगर कोई स्त्री-पुरूष के संतान नहीं होती, तो यह फर्टिलिटी की समस्या के कारण होती है। लेकिन इसमें प्रयास होना जरूरी है।
अगर कोई दम्पति अपनी खुद की इच्छ से संतान नहीं चाहती तो बाद दूसरी होती है। लेकिन संतान प्राप्ति की इच्छा होने के बावजूद, हर प्रयास करने के बावजूद भी संतान नहीं होती, तो ही यह Banjhpan Ki Samasya कहलाती है।
क्या इनफर्टिलिटी की समस्या केवल स्त्री में होती है?
ऐसा नहीं है। इसके लिए स्त्री और पुरूष दोनों ही जिम्मेदार हो सकते हैं। गर्भ धारण करने के उपाय करने के बावजूद कोई महिला यदि गर्भवती (Pregnant) नहीं होती है। तो इसके लिए स्त्री और पुरूष दोनों में से कोई भी जिम्मेदार हो सकता है। डॉक्टरी जांच के बाद यदि महिला में कोई समस्या पाई जाये, तो उसे महिला बांझपन (Female Infertility) कहेंगे। ठीक इसी प्रकार यदि चिकित्सिए परीक्षण के पश्चात् पुरूष में कोई समस्या पाई जाती है, तो उसे पुरूष बांझपपन (Male Infertility) कहा जाता है।
बांझपन के कारण – Causes of Infertility in Hindi
बांझपन की समस्या के कारण कई हो सकते हैं। लेकिन अधिकतर प्रजनन क्षमता की कमजोरी, उम्र, शारीरिक समस्याओं, हार्मोन की गड़बड़ी, जीवन शैली और दूषित पर्यावरण के कारण देखने को मिल सकती हैं।
भारत में तो बहुत ज्यादा इनफर्टिलिटी की समस्या अपने पैर पसारती जा रही है। जोकि एक गंभीर चिंता का विषय साबित हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार भारत की पूरी आबादी का लगभग 15 प्रतिशत दम्पति संतानहीनता का शिकार हैं। अगर हम मुख्य कारण की बात करें, तो महिलाओं के बांझपन के अधिकतर मामले अंडे के उत्पादन की समस्या के कारण देखे जाते हैं।
चिकित्सिए कारक
- फैलोपियन ट्यूबल ब्लॉकेज (Fallopian Tubal Blockage)
- हाइड्रोसाल्पिनक्स (Hydrosalpinx)
- एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis)
- पीसीओएस/पीसीओडी (PCOS/PCOD)
- यूट्रस में टीबी (TB in uterus)
- फाइब्रॉएड (Uterine fibroid)
- एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy)
महिलाओं में बांझपन के लक्षण – Female Infertility Symptoms in Hindi
- अनियमित पीरियड्स – Irregular Periods
- पीरियड्स के दौरान दर्द – Periods Pain
- पीरियड्स न होना – Missed or Late Periods
इनफर्टिलिटी का आयुर्वेदिक उपचार (Infertility Ka Ayurvedic Upchar)
महिलाओं का बांझपन दूर करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार करना सही और सुरक्षित रहता है। प्रकृति की गोद में ऐसी-ऐसी प्रभावशाली जड़ी-बूटियां व औषधियां हैं, जिनकी मदद से महिलाओं में प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है।
अवश्वगंधा
महिलाओं में हार्मोनल संतुलन को बनाये रखने में अश्वगंधा बहुत मददगार साबित होता है। यह ऐसी जड़ी-बूटी है जिसकी मदद से प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही गर्भाशय को सुरक्षित रखने में भी अवश्वगंधा बहुत उपयोगी औषधि साबित होती है।
सेवन करने की विधि : 1 चम्मच की मात्रा में अश्वगंधा चूर्ण लेकर, इसे एक गिलास गर्म पानी में मिला लें। इस पानी को दिन में 2 बार पिएं। बांझपन की समस्या धीरे-धीरे ठीक होने लगेगी।
गोखरू/गोक्षुर
स्त्रियों में बांझपन की शिकायत को दूर करने के लिए ‘गोक्षुर’ को फर्टिलिटी टॉनिक के रूप में माना जाता है। पुरूषों के बांझपन में भी यह बहुत ज्यादा प्रभावशाली साबित होता है। महिलाओं में ओवरी (अंडाशय) की कार्यक्षमता को सुधारने में गोखरू बहुत काम आता है। मासिक धर्म की अनियमितता को ठीक करने में भी मददगार साबित होता है।
शतावरी
इस जड़ी-बूटी (शतावरी ) में एस्ट्रोजेन जैसे यौगिक होते हैं, जो महिला डिंब या अंडाशय को पोषकता प्रदान करती है। प्रजनन क्षमता को भी सुधारती है। Libido Ki Kami भी दूर करती है शतावरी।
लोध्र
बांझपन दूर करने की आयुर्वेदिक दवा के रूप में लोध्र नामक जड़ी-बूटी बहुत लाभकारी होती है। बांझपन के लक्षणों को कम करती है। दरअसल लोध्र के औषधीय गुण महिलाओं में Follicle Stimulating Hormone और Luteinizing hormone के स्तर को बढ़ाने में मददगार होते हैं।
लोध्र का सेवन करने से गर्भपात की संभावनायें बहुत कम हो जाती है। आप नियम बना लें कि प्रतिदिन भोजन के बाद दूध और शहद के साथ लोध्र का सेवन करेंगी। यह एक ऐसा बांझपन का आयुर्वेदिक इलाज है, जो पूरी तरह सुरक्षित भी है। लेकिन फिर भी चिकित्सक की सलाह परम-आवश्यक है।
कौंच बीज
अगर आप कौंच बीज से बांझपन का इलाज करते हैं, तो यह बहुत ही उत्तम इलाज साबित होता है। कौंच बीज का इस्तेमाल आयुर्वेद में बहुत ही खास औषधी के रूप में किया जाता है। महिला और पुरूष दोनों में बांझपन की समस्या को ठीक कर सकता है कौंच बीज। प्रजन क्षमता को बढ़ाकर बेहतर बनाता है।
भोजन का महत्व
इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करने में आयुर्वेद कहता है, कि उपचार के साथ-साथ अपने खान-पान का भी विशेष ध्यान रखें। पूरी तरह से शारीरिक स्वस्थता को बनाये रखने के लिए और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए भोजन की विशेष भूमिका होती है।
प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए क्या खायें?
आयुर्वेदानुसार प्रजन क्षमता को बढ़ाने के लिए महिलाओं को अपने आहार में दूध, बादाम, अखरोट, खजूर, घी आदि खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।
इन खाद्य पदार्थों का सेवन करना महिला और पुरूष दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इनके सेवन से शरीर में भरपूर मात्रा में शुक्र धातु का निर्माण होता है। प्रजनन क्षमता को सुधारने के लिए शुक्र धातु को सही माना जाता है।